लव इज माय लाइफ ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी
स्नेहा दुनिया की ऐसी जगह पर है, जिसे दुनिया का स्वर्ग कहा जाता है, पहले इस स्वर्ग में एक कमी थी, जो स्नेहा के आने से पूरी हो गई है, अब हमारी नायिका स्नेहा 26 वर्ष की हो गई है, स्नेहा के चेहरे में एक ऐसी अनोखी चमक और आकर्षण है, जिसका हर कोई दीवाना है, जैसे ईश्वर ने कायनात की सारी विशेषताएं उसमें भर दी है
अगर सच कहूं तो उसके जैसा, पूरी कायनात में कोई नहीं है, पूर्णिमा के चंद्रमा से भी सुंदर, उसका चेहरा, गहरी झील जैसी, नीली-नीली, साफ सुथरी आंखें, किसी गिरते हुए झरने की तरह, उसकी जुल्फे, मैना जैसी नुकिली नाक, गुलाब की पंखुड़ियां जैसे होठ, जो भी स्नेहा को देखता है, वह कुछ देर के लिए दुनिया भूल जाता है, उसके दिल की धड़कन, अचानक तेज हो जाती है, उसकी सुंदरता का प्रभाव, हर किसी को आश्चर्यचकित कर देता है
पर इतनी विशेषताओं के बावजूद भी वह आज, लव की दीवानी है और हर सांस के साथ लव का नाम जपती है और उसका इंतजार कर रही है, उसके भाव से भी यह प्रतीत होता है, स्नेहा के भाव
शायरी मेरे रग-रग में लहू, बनकर बह रहे हो मेरे इंतजार की वजह, बन मुझ में बस गए हो हर उम्मीद, हर खुशी, तुमसे ऐसे जुड़ गई है जैसे, मेरे जहां के तुम, खुद बन गए हो
स्नेहा का दोस्त, आशिफ बहुत ही नेक दिल, ईमानदार और विश्वास पात्र व्यक्ति है, वह एक समृद्ध घर परिवार के साथ,रहम दिल इंसान भी है, यहां की राजनीति में भी आसिफ के परिवार का वर्चस्व है आशिफ भी स्नेहा की अच्छाई और सच्चाई से बहुत प्रभावित है, वह स्वयं में आए, कई अच्छे बदलाव का कारण, स्नेहा को मानता है और वह भी अपने प्राकृतिक स्वभाव से वशीभूत होकर, स्नेहा को बहुत चाहता है, आरोही और स्नेहा एक रेस्टोरेंट में आसिफ का इंतजार कर रही है
"आसिफ कभी भी टाइम पर नहीं आता है, उसके कारण हमें भी लेट होना पड़ता है"! आरोही ने कहा
तभी एक कर्मचारी का पेर फिसल जाता है और सारी खाद्य सामग्री, उस पर गिर जाती है, इस कारण उस कर्मचारी का चेहरा और कपड़े गंदे हो जाते हैं, यह देखकर, वहां उपस्थित सभी लोग, जोर-जोर से हंसने लगते हैं पर स्नेहा, तत्काल उस गिरे हुए आदमी को उठाती है और अपने रुमाल से उसका चेहरा साफ करती है, स्नेहा के मानवता के प्रति, कर्तव्य और उसके संस्कार देखकर,वहां मौजूद सभी लोगों को खुद पर शर्मिंदगी महसूस होती है, वह वेटर, स्नेहा को धन्यवाद कह कर चला जाता है
स्नेहा की यह इंसानियत देख आशिफ तालियां बजाता हुआ, स्नेहा की ओर बढ़ता है, आशिफ को ताली बजाते देख, वहां मौजूद सभी लोग, स्नेहा के सम्मान में तालियां बजाने लगते हैं, आसिफ हंसता, मुस्कुराता किसी मनचले आशिक की भांति स्नेहा से मुखातिब होकर कहता है
"सच में आज बहुत खूबसूरत लग रही हो"!
स्नेहा आसिफ की बात का तर्क समझते हुए पुछती हैं
"मुझ, में और कुछ नजर नहीं आता है"!
"आप ही बता दीजिए, मोहतरमा,,,आप में और क्या, नजर आना चाहिए"?
"मेरे सैंडल,,,जो काफी मजबूत है"! उसने व्यंग्य भाव से कहा, यह सुनते ही वहां बैठी, आरोही की हंसी छूट जाती है
आसिफ सिटपिटाते भाव से कहता है
"तुम फूल की तरह मुलायम हो, इसलिए तुम्हें इतनी मजबूत सैंडल नहीं पहनना चाहिए"! आशिफ कि सुनकर स्नेहा भी हंसने लगती है और अगले ही पल स्नेहा अपना भाव बदलते हुए गंभीर भाव से पूछती है
"आज फिर देर से आए हो"?
"बहुत कोशिश की फिर भी लेट हो गया, आई एम सॉरी"!
"सिर्फ सॉरी, से काम नहीं चलेगा, आज तुम्हें लेट आने की सजा मिलेगी, लेट आने की सजा ये है कि आज, तुम्हें पांच उठक-बैठक लगानी पड़ेगी"!
"ठीक है,,,स्नेहा जी, लोग प्यार में जान देते हैं,,क्या मैं पांच उठक बैठक नहीं लगा सकता"!
उठक बैठक लगाना शुरु करता है एक,,,दो,,,,तीन और आशिफ गिर पड़ता है, स्नेहा,आसिफ की इस हरकत को देखकर, मुस्कुराते हुए कहती है
"मैं,,,जानती हूं, तुम जानबूझकर गिरे हो, क्यों करते हो ऐसा"?
"तुम्हारे चेहरे पर खूबसूरत मुस्कान देखने के लिए"! आसिफ ने सुकून भाव से जवाब दिया
"रहने दो,,,बातें ना बनाओ और यह बताओ, तुमने, तुम्हारे चाचा जी से मेरी, जॉब की बात की या नहीं"!
" मैने, चाचा जी से बात कर ली है, अगले मंडे से तुम्हें, जॉब ज्वाइन करना है, मुझे, तुम्हारी यह बात समझ में नहीं आ रही है कि जिस जोब को तुम, यहां भी कर सकती हो तो फिर तुम वहां क्यों जाना चाहती हो, अपना सब कुछ छोड़कर"!आसिफ ने पूछा
"मेरा सब कुछ यहां नहीं, वहां है, मैं, उसे तकदीर के भरोसे छोड़कर आई हूं, तुम्हारा एक बार फिर शुक्रिया"! स्नेहा आसिफ से कहा
"तुम्हारे मुंह से शुक्रिया,,,बड़ा बुरा लगता है, स्नेहा जी और मैं, जो भी करता हूं, तुम्हारे लिए नहीं, खुद के लिए करता हूं"! आशिफ ने कहा
"खुद के लिए करते हो, मैं समझी नहीं"!
"तुम्हारे लिए, कुछ करना, मेरे लिए खुशी की बात है, मैं अपनी खुशी के लिए तुम्हारे काम करता हूं"!
"मुझसे फ्लर्टिंग कर रहे हो"!
"फ्लर्टिंग तो झूठ करते हैं, हम तो खुदा के सच्चे बंदे हैं, सिर्फ इश्क करते हैं, आसिफ ने व्यंग्य का सहारा लेते हुए अपने दिल की बात कही
हु आसिफ का भाव समझते हुए स्नेहा कहती है
"नजदीकियां, ,,गलत फहमियां बढ़ाती है, मुझे दुर से समझने की कोशिश करोगे तो पहचान जाओगे"!
स्नेहा के इस वाक्य में वह सारी समझ है जो आसिफ के लिए जरूरी है, इसी कारण आसिफ, स्नेहा और आरोही तीनों के बीच खामोशी छा जाती है
स्नेहा अपना स्पष्ट वाक्य कहकर, वहां से चुपचाप चली जाती है, कुछ देर बाद आरोही भी आसिफ को अलविदा कह कर वहां से चली जाती है पर आशिफ अभी भी स्नेहा के उस स्पष्ट वाक्य में कहीं, अपनी उम्मीद ढूंढ रहा है, भले आशिफ के दिल की बात सुनाई नहीं दे रही, दिखाई नहीं दे रही पर मैं सब कुछ जानता हूं, क्योंकि मैं सर्वमय हूं, इसीलिए आसिफ के हृदय की बात कहता हूं, जो शायरी में
शायरी
क्यों हम उन्हीं को पाना चाहते हैं, जिन्हें खोने से डरते हैं जो किस्मत में नहीं होते हैं, क्यों उन्ही से प्यार करते हैं क्यों उनसे नफरत नहीं होती, क्यों उनका इंतजार करते हैं क्यों उन्हीं के लिए तड़पते हैं, जो किसी और पर मरते हैं
Rupesh Kumar
18-Dec-2023 07:38 PM
Nice
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Gunjan Kamal
18-Dec-2023 05:42 PM
👌👏
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Khushbu
18-Dec-2023 05:10 PM
Nyc
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